मिस्टर क्लीन और सादगी की मिशाल : स्वर्गीय श्री मनोहर पार्रिकर(Manohar Parrikar) की जयंती पर उनसे जुड़ी खास बातें

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जन्म दिनांक एवं जन्म स्थान :  13 दिसम्बर 1955, मापुसा, गोवा

शिक्षा

पार्रिकर की शिक्षा लोयोला हाई स्कूल, मार्गो में हुई। माध्यमिक शिक्षा की पढ़ाई मराठी भाषा में पूरी कर वर्ष 1978 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुम्बई से धातुकर्म इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री प्राप्त की। वे IIT के प्रथम भूतपूर्व छात्र थे, जिन्होंने किसी भारतीय राज्य के विधायक के रूप में सेवा की। उन्हें 2001 में IIT उन्हे प्रतिष्ठित पूर्व छात्र पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

RSS और पार्रिकर

मनोहर पर्रिकर ने अपने स्कूल के दिनों से ही RSS से जुड़ गए थे। वे अपनी पढ़ाई के साथ RSS की युवा शाखा के लिए काम भी करते थे।  इंजीनियरिंग की पढाई के साथ-साथ भी उन्होंने RSS को अपनी सेवा देना जारी रखा। आरएसएस ने पार्रिकर की प्रतिभा को काफी सम्मान दिया और उन्हें 26 साल की उम्र में  संघ ने बड़ी जिम्मेदारी दी। रामजन्मभूमि आंदोलन के दौरान पार्रिकर उत्तरी गोवा में प्रमुख संगठनकर्ता थे।

विशुद्ध राजनीति की शुरुआत

पार्रिकर वैसे तो संघ से स्कूल के दिनों से ही जुड़े थे, किंतु उनकी राजनीति की शुरुआत सन 1994 से 39 वर्ष की आयु में  हुई जब वे पहली बार भारतीय जनता पार्टी  से गोवा विधान सभा के विधायक चुने गये। विधायक बनने के पांच साल बाद ही पार्रिकर गोवा विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष बन गए। इसके पांच साल बाद जब अक्टूबर 2000 में राज्य में भाजपा की सरकार बनी तब मनोहर पार्रिकर मुख्यमन्त्री बन गए। उनके नाम देश का पहला ऐसा सीएम बनने का गौरव रहा जो किसी आईआईटी से बीटेक और एमटेक कर चुका हो। लेकिन उनका कार्यकाल केवल 27 फरवरी, 2002 तक रहा। 5 जून, 2002 को उन्हें गोवा के मुख्यमंत्री के रूप में फिर से चुना गया और साल 2005 में विधानसभा में हुए चुनाव में BJP को हार मिली और पार्रिकर को मुख्यमंत्री के पद को त्यागना पड़ा। इसके बाद वर्ष 2012 में हुए चुनावों में BJP पार्टी को जीत मिली और मनोहर पार्रिकर को फिर से मुख्यमंत्री बनाया गया। वर्ष 2014 का लोकसभा चुनाव BJP पार्टी ने भारी मतों से जीता और केंद्र सरकार बनने के बाद रक्षामन्त्री के रूप में पार्रिकर पहली पसंद थे जिन्हें रक्षामन्त्री बनाया गया। किंतु वे उस समय गोवा के मुख्यमन्त्री थे, इसलिए पार्रिकर को गोवा का मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा। फिर उनकी जगह लक्ष्मीकांत को गोवा राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया।  परन्तु वर्ष 2016 में गोवा राज्य के चुनाव उपरांत भाजपा की सहयोगी पार्टियों द्वारा गोवा राज्य का मुख्यमंत्री मनोहर पार्रिकर को चुने जाने की की शर्त में समर्थन देने की बात कही गयी, जिस कारण पुनः मनोहर पार्रिकर को रक्षामंत्री पद से त्यागपत्र देकर पुनः गोवा राज्य के मुख्यमंत्री का पदभार संभाला।

सम्मान एवं पुरस्कार

इंडिया टुडे मैगजीन द्वारा उन्हें 2004 में सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री के रूप में सम्मानित किया गया था। उन्हें गोवा में मिस्टर क्लीन के रूप में भी जाना जाता था। जब वह रक्षामंत्री थे] उनके नेतृत्व में वन रैंक वन पेंशन (OROP) योजना शुरू की गई थी। साथ ही अपने कार्यकाल में भारत ने PoK और म्यांमार में सर्जिकल स्ट्राइक किया था। 2001 में उन्होंने प्रतिष्ठित पूर्व छात्र पुरस्कार IIT-Mumbai प्राप्त किया। 2012 में राजनीति श्रेणी में सीएनएन-आईबीएन इंडियन ऑफ द ईयर पुरस्कार दिया गया। सितंबर 2018 को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान गोवा द्वारा मानद डॉक्टरेट से नवाज़ा गया।

बीमारी और मृत्यु

अमेरिका में वह मार्च-जून 2018 में अग्नाशय की बीमारी का इलाज करा रहे थे। अमेरिका से भारत लौटने के बाद सितंबर में उन्हें आगे के इलाज के लिए दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था। उन्हें अक्टूबर 2018 में अग्नाशय के कैंसर (Pancreatic Cancer) का पता चला और 17 मार्च 2019 को 63 वर्ष की आयु में उनके निवास स्थान पणजी गोवा में उनका निधन हुआ।

अतंतः यह कहा जाना चाहिए कि मनोहर पार्रिकर एक अच्छे राजनीतिज्ञ एवं अच्छे इंसान थे जो राज्य शासन एवं केन्द्र शासन के उच्च पदों में आसीन होने के बावजूद अपनी सादगी को नहीं त्यागे, उनके निधन से न सिर्फ भारतीय जनता पार्टी को क्षति हुई है बल्कि संपूर्ण भारत को क्षति हुई है।

3 thoughts on “मिस्टर क्लीन और सादगी की मिशाल : स्वर्गीय श्री मनोहर पार्रिकर(Manohar Parrikar) की जयंती पर उनसे जुड़ी खास बातें”

  1. First of all Best Wishes for new arrival (InfoTab) in the world of Media and Knowledge.
    ?Very good knowledge about
    Late M.Parrikar

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