होलिका दहन 2021, क्या है होली पर्व की कथा एवं महत्व? जाने क्या है, पूजा विधि ? Holika Dahan 2021,

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Holika dahan 2021
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होलिका दहन 2021, क्या है होली पर्व की कथा एवं महत्व? जाने क्या है, पूजा विधि ? Holika Dahan 2021,

होलिका दहन

होली हिन्दु ओं के महत्वेपूर्ण त्यौ हारों में से एक प्रमुख त्यौ।हार है। होली के एक दिन पूर्व सांकेतिक रूप से होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन बुराई पर अच्छाौई की जीत का प्रतीक है।

होलिका दहन कथा


होलिका दहन की पौराणिक कथा

राक्षस राज हिरण्यकश्यप अपनी ताकत और शक्तियों पर अत्यजधिक घमंड होने के साथ ही वह खुद को ही भगवान मानता था और हिरण्यकश्यप चाहता था कि उसकी प्रजा उसी को भगवान मानकर पूजा करे। हिरण्यकश्ययप ने अपने पूरे राज्ये में भगवान की पूजा करने पर रोक लगा दी और यह आदेश दिया था कि अगर कोई भगवान की पूजा करेगा तो उसे सजा दी जाएगी। जबकि हिरण्य कश्यरप का पुत्र प्रह्लाद ही उसे भगवान मानने को तैयार नहीं था और वह श्रीहरि का परम भक्त था। वह हर वक्त‍ श्रीहरि का नाम जपता था और इस बात से हिरण्यहकश्यकप उससे बेहद नाराज रहता था। उसने कई बार प्रह्लाद को पूजा पाठ करने से रोकने के लिए अनेक प्रयास किया, किन्तुो उसे सफलता नहीं मिली। फिर हिरण्येकश्य प ने अपनी बहन होलिका राक्षसी की मदद ली।


राक्षसी होलिका को आग में न जलने का वरदान


राक्षसी होलिका को ब्रम्हा जी से वरदान के रूप में ऐसा वस्त्र प्राप्त था जो कभी भी आग में नहीं जल सकता था। हिरण्यकश्योप की मदद के लिए राक्षसी ने उसी वस्त्र को ओढकर प्रहलाद को गोद में लेकर जलती आग मैं बैठ गयी, जिससे कि प्रहलाद जल जाये। किन्तुी भक्त प्रहलाद तो श्रीहरि के अनन्ये भक्त थे, आग उसे कैसे जला सकती थी। प्रभु के चमत्कादर से वरदान में प्राप्तन वस्त्र होलिका के शरीर से उडकर प्रहलाद के शरीर में आ गया, जिससे भक्तथ प्रहलाद आग में नहीं जले और राक्षसी होलिका आग में जल कर नष्टक हो गयी। तभी से प्रतिवर्ष बुराई पर अच्छाकई की जीत के प्रतीक रूप में फाल्गुकन माह की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है।

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होलिका दहन का नियम


होलाष्टक


शास्त्रों के अनुसार, होलाष्टक को शुभ नहीं माना जाता है। होली के 8 दिन पूर्व से ही शुभ या मांगलिक कार्य करना वर्जित होता है। इन 8 दिनों में शादी, गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। इस साल 22 मार्च से 28 मार्च तक के बीच होलाष्टक है।

होलिका दहन शुभ मुहूर्त 2021


वर्ष 2021 में फाल्गुन पूर्णिमा यानी 28 मार्च के प्रदोष काल में होलिका दहन होगा। 28 मार्च को भद्रा पूंछ शाम 10.13 से 11.16 और भद्रा मुख शाम 11.16 से 13.00 बजे तक रहेगा। ऐसे में होलिका दहन का शुभ मुहुर्त रात 6.54 से 9.14 तक रहेगा।

भद्रा


पूर्णिमा के दिन होलिका-दहन किया जाता है। इस दौरान यह ध्यान रखना चाहिए कि उस दिन “भद्रा” न हो।

होलिका दहन व पूजा के दौरान क्या नहीं करना चाहिए?


होलिका दहन के दिन कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए। माना जाता है कि सास-बहु को एक साथ होलिका दहन नहीं देखना चाहिए।नवविवाहिता को भी होलिका दहन नहीं देखना चाहिए।

होलिका दहन की परिक्रमा का महत्व


होलिका पूजा और दहन में परिक्रमा को अत्यहधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। माना जाता हैं कि परिक्रमा करते हुए अपनी कोई इच्छां कही जाये तो वह पूरी हो जाती है। परिक्रमा के साथ ही होलिका दहन में उपले जलाना भी बेहद जरूरी होता है।

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